लेखनी प्रतियोगिता -29-Nov-2022 अगीत रचना

अगीत (प्रार्थना)

लम्बोदर ने कृपा दृष्टि की,
श्वेता श्री ने दिया सहारा।
बुद्धि विवेक जगाकर दिल में,
सुर शब्दों का संयोजन कर।
लेखन मन को जागृत करके,
शक्ति लेखनी में भर डाली।
मन सार्थक विचार भर करके,
सकारात्मकता रच डाली।
अगीत पद्य प्रणयन करने को,
'अलका' सर धर हाथ शारदे।


२- रंगनाथ रंगों के नाथ 
कविता में भरे रंग अगाध।
 मगर यह रंग पड़े न फीके,
 समय बढ़े तो फिर निखरेंगे। 
 अगीत गीत का उद्गम है,
 गागर में सागर का क्रम है।
  सच का भेद छुपे न छुपाए,
  'अलका' जीत सत्य की पाए।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' 
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।

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13 Comments

Varsha_Upadhyay

06-Dec-2022 08:05 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Pratikhya Priyadarshini

30-Nov-2022 09:05 PM

शानदार 🌸

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